How the Dog Found Himself a New Master? Summary In English
Once upon a time, dogs lived in the forest like the wolves. They were their own masters. Then one day, there happened to be a dog who did not like this sort of life. He did not like to be always looking for food. He was sick of remaining frightened by those who were stronger. He thought over the problem. Then he decided to become the servant of one who was stronger than anybody else.
He went on walking. He met a big Wolf. The Wolf asked him where he was going. The Dog told him that he was looking for someone to take up service with. He asked the Wolf if he would like to be his master. The Wolf agreed to take him as a servant. They walked and walked until they came across a bear. Seeing the Bear, the wolf hid himself in a bush. The Dog was much surprised. He asked the wolf what the matter was. The wolf said that the bear could eat both of them. When the dog saw that the Bear was stronger than the Wolf, he left the Wolf. He went to the bear to be his servant. Soon after he found that the bear was afraid of the lion. So the dog decided to serve the lion. The lion agreed to it. He lived happily with the Lion for a long time. It was a good life. Just as the dog had wanted the Lion was the strongest beast in the forest. No one dared touch or offend the Dog.
One day the Dog and the Lion were walking side by side along a narrow path. The lion smelt a man and told the dog to run away with him. Otherwise they would be in trouble. So the Dog said goodbye to the Lion and went to man.
Since then, the dog has been staying with man as his most loyal servant and knows no other master.
How the Dog Found Himself a New Master? Summary In Hindi
एक समय कुत्ते भेड़ियों की तरह जंगल में रहते थे। वे स्वयं ही अपने स्वामी थे। फिर एक दिन, एक ऐसा कुत्ता हुआ जिसे यह जीवन पसंद नहीं आया। हमेशा अपने भोजन की तलाश में रहना उसे पसन्द नहीं था। अपने से अधिक शक्तिशालियों से डरते-डरते वह परेशान हो गया था। उसने इस समस्या के बारे में सोचा। फिर उसने किसी ऐसे की नौकरी करने का निश्चय किया जो सबसे अधिक शक्तिशाली हो।
वह चलता गया। उसे एक बड़ा भेड़िया मिला। भेड़िये ने पूछा वह कहाँ जा रहा था। कुत्ते ने बताया कि वह नौकरी की तलाश में है। उसने भेड़िये से पूछा कि क्या वह उसको मालिक बनना चाहेगा। भेड़िये ने उसे अपने सेवक के रूप में स्वीकार कर लिया। चलते-चलते उनका सामना एक रीछ से हुआ। रीछ को देखकर भेड़िया झाड़ी में छिप गया। कुत्ता बड़ी हैरान हुआ। उसने भेड़िये से पूछा कि क्या बात है। भेड़िये ने कहा कि रीछ उन दोनों को खा सकता है। जब कुत्ते को लगा कि रीछ भेड़िये से अधिक शक्तिशाली है तो उसने भेड़िये को छोड़ दिया। रीछ का सेवक बनने के लिये वह उसके पास चला गया। कुछ समय बाद ही उसे पता लग गया कि रीछ शेर से डरता था। अतः कुत्ते ने शेर का सेवक बनने का निश्चय किया। शेर तैयार हो गया। काफी लम्बे समय तक वह शेर के साथ खुशी-खुशी रहता रहा। जीवन अच्छा चल रहा था। जैसा कि कुत्ते ने चाहा था, शेर जंगल में सबसे शक्तिशाली जानवर था। किसी की हिम्मत न थी कि कुत्ते को छू सके अथवा नाराज कर सके।
एक दिन कुत्ता और शेर एक तंग रास्ते पर साथ-साथ चल रहे थे। शेर को आदमी की गंध आयी और वह कुत्ते से बोला कि वह उसके साथ भाग चले। वरना उन पर मुसीवत आ जायेगी। अतः कुत्ते ने शेर से विदा ली और आदमी के पास आ गया।
तब से कुत्ता, आदमी के सर्वाधिक वफादार सेवक की तरह उसके साथ रह रहा है और वह किसी अन्य को अपना मालिक नहीं मानता है।