The Friendly Mongoose Summary In English
There was a farmer. He lived with his wife and a small child in a village. One evening, the farmer brought a baby mongoose. He thought that the mongoose would be their son’s friend. The mongoose grew to its full size in five or six months. The farmer’s son was still a baby.
One day, the farmer’s wife went to the market. She asked her husband to keep an eye on the baby. The baby was sleeping in the cradle. She did not want to leave her child alone with the mongoose. Clearly she feared that the mongoose might harm her child. The farmer assured her not to be afraid. The farmer trusted the mongoose fully.
The farmer’s wife went to the market. The farmer also went to take a look at his fields soon after. The farmer’s wife returned home with a basketful of groceries. The mongoose was waiting for her at the door. He saw her and ran to welcome her. The farmer’s wife saw that the face and paws of the mongoose were smeared with blood.
She thought that the mongoose had killed her son. So she hit the mongoose hard with her basket full of groceries. The mongoose died instantly. She ran inside. She saw her baby fast asleep. Nearby, a black snake lay dead in a pool of blood. She understood that the mongoose had killed the snake and saved her son. She repented over her rash and foolish action. She started sobbing but in vain. Her repentance shows that hurry causes worry.
The Friendly Mongoose Summary In Hindi
एक किशन था। वह अपनी पत्नी और एक छोटे बच्चे के साथ एक गाँव में रहता था। एक दिन सायंकाल, किसान एक नेवले का बया लाया। उसका विचार था कि नेवला उनके बेटे का मित्र बन जाएगा। पाँच या छह महीने के भीतर नेवला आकार में पूरा बढ़ गया। किसान का बेटा अभी तक बच्चा ही था।
एक दिन, किसान की पली बाजार गयी। उसने अपने पति से बच्चे पर नजर रखने के लिए कहा। बच्चा पालने में सो रहा था। वह अपने बच्चे को नेवले के पास अकेला छोड़ना नहीं चाहती थी। स्पष्ट था कि उसे डर था कि नेवला कहीं उसके बच्चे को नुकसान न पहुँचा दे। किसान ने उसे आश्वस्त किया कि डरे नहीं। किसान, नेवले ‘ ऊपर पूरा विश्वास करता था।
किसान की पत्नी बाजार चली गई। थोड़ी देर बाद किसान भी अपने खेतों को देखने के लिए चला गया। किसान की पत्नी पंसारी (किराने) के सामान से टोकरी भर कर घर लौट आई। नेवला, घर के दरवाजे पर उसकी प्रतीक्षा कर रहा था। उसने उसे देखा और उस का स्वागत करने के लिए दौड़ा। किसान की पत्नी ने देखा कि नेवले का चेहरा और पंजे लहू से सने हुए थे।
उसने सोचा कि नेवले ने उसके बेटे को मार दिया था। अत: उसने किराने के सामान से भरी हुई अपनी टोकरी से जोर से नेवले के ऊपर प्रहार किया। नेवले की तत्काल मृत्यु हो गई। वह दौड़ती हुई अन्दर गई। उसने अपने बेटे को गहरी नींद में सोता हुआ पाया। नजदीक ही, एक काला साँप खून से लथपथ मरा हुआ पड़ा था। वह समझ गई कि नेवले ने साँप को मारा था और उनके बेटे को बचाया था। वह अपने जल्दबाजी और मूर्खतापूर्ण कार्य पर पछताई। वह सुबकने लगी पर अब यह व्यर्थ था। उसके पछताने से स्पष्ट है कि जल्दबाजी का परिणाम पश्चात्ताप होता है।