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Class 6th Online Course For English Medium CBSE Board Students
About Lesson

The Old-Clock Shop Summary In English

It was Christmas Eve. The shoppers were going home. However, the lights were still burning in the old-clock shop. Its owner was dear. His name was Ray. He was working on a clock.

The work being over, Ray stood up. Just then two men entered his shop. One of them was in his twenties. The other man was about fifty years of age. Ray looked at them.

 

The youngman remained at the door. The old man came to the counter There was no friendliness in his eyes. This made Ray think that the visitor was not really a shopper. Ray offered him a notepad and a pencil. By making signs, Ray told him that he was deaf and dumb. The surprised old man turned back and said something to his young companion.

In the meantime Ray had seen that the man had a gun in his pocket. Obviously they had come to rob Ray of his money. Controlling his anger, Ray wrote on the notepad, “May I help you ?.” The old man now looked into Ray’s eyes and smiled. It was a cruel mocking smile. Ray wrote again, “Have you come to pick up a clock or watch ?” With gestures, Ray told him that he gave loans to the needy against their watches. Ray was not a pawnbroker. Yet he could not say ‘no’ to the needy. When they placed old watches or clocks before him, he loaned more than he should.

 

This seemed to give the old man an idea. He showed his wrist watch and wrote on the paper. “How much will you give me for it?” Ray saw that it was a cheap watch. Yet he felt it could help both of them to get out of a bad situation. In this sense it had great powers. So he asked the man, “How much do you need for it?” The reply came back : “Whatever it’s worth.”

Ray gave the man a fifty dollar note. The man was thankful. It was at this moment that the unfriendly face of the visitor became truly friendly. Both of them knew that the watch was not worth that much. Before leaving, the man wrote, “I will be back to pick it up as soon as I can. Merry Christmas!

 

Thus the story ended peacefully. As if pleased by this situation, all the clocks in the shop rang to announce the half hour. All the three men present there felt the message. The message was “Peace on earth, goodwill towards all.”

The Old-Clock Shop Summary In Hindi

क्रिसमस की यह पूर्व संध्या थी। खरीदार घर वापस लौट रहे थे। परंतु पुरानी घड़ी की दुकान में अभी भी बत्तियाँ जल रही थीं। इसका मालिक बहरा था। उसका नाम ‘रे’ था। वह एक घड़ी ठीक कर रहा था।

काम समाप्त करके रे खड़ा हो गया। उसी समय दो व्यक्तियों ने उसकी दुकान में प्रवेश किया। उनमें से एक 20-29 वर्ष का होगा। दूसरा व्यक्ति लगभग पचास वर्ष का था। रे ने उनकी ओर देखा।

 

युवक दरवाजे पर बना रहा। बुजुर्ग व्यक्ति काउंटर पर आया। उसकी आँखों में कोई मैत्रीभाव न था। इससे रे को लगा कि आगंतुक कोई खरीदार नहीं था। रे ने उसे एक नोट-पैड और पेन्सिल पकड़ायी। इशारों के द्वारा रे ने उसे बताया कि वह बहरा और गूगा था। हैरान बुजुर्ग पीछे मुड़ा और उसने अपने युवा साथी से कुछ कहा।

इसी बीच रे ने देख लिया था कि उस व्यक्ति की जेब में बंदूक थी। स्पष्ट था कि वे लोग रे का धन लूटने आये थे। अपने गुस्से पर काबू करते हुए रे ने नोट-पैड के ऊपर लिखा, “क्या मैं आपकी कोई सहायता कर सकता हूँ?” उस बुजुर्ग ने अब रे की आँखों में देखा और मुस्कुराया। यह एक दुष्टतापूर्ण मजाक भरी मुस्कराहट थी। रे ने फिर लिखा, “क्या आप कोई सामान्य घड़ी या दीवार घड़ी लेने आये हैं ?” इशारों से रे ने उसे बताया कि वह जरूरतमंद लोगों को उनकी घड़ी रख कर कर्ज दिया करता था। रे सूदखोर नहीं था। पर वह जरूरतमंद लोगों को ‘न’ नहीं कह सकता था। जब वे उसके सामने अपनी घड़ी या दीवाल-घड़ी रख देते थे तब रे उन्हें प्राय: उससे अधि क धन दे देता था जितना उसे देना चाहिए था।

लगता था कि इससे उस बुजुर्ग के दिमाग में एक विचार आया। उसने अपनी कलाई घड़ी दिखाई और कागज पर लिखा, ”इसके बदले आप मुझे क्या देंगे ?” रे ने देखा कि यह एक सस्ती घड़ी थी। पर उसे लगा कि यह उन दोनों को एक खराब स्थिति से निकालने में सहायक हो सकती थी। इस दृष्टि से इसमें बड़ी शक्ति थी। अतः उसने उस व्यक्ति से पूछा, “आपको इसके लिए कितना चाहिए ? वापस उत्तर आया, “यह जिस लायक हो।”

 

रे ने उस व्यक्ति को पचास डालर का नोट दिया। वह व्यक्ति आभारी था। इस क्षण उस व्यक्ति का अमैत्रीपूर्ण चेहरा सचमुच मैत्रीपूर्ण हो गया। वे दोनो ही जानते थे कि वह घड़ी उस कीमत के लायक नहीं थी। जाने से पहले उस व्यक्ति ने लिखा, ”जैसे ही संभव हुआ, मैं इसे वापस लेने आऊंगा। शुभ क्रिसमस !”

इस प्रकार कहानी का अंत शांतिपूर्ण हो गया। मानो इस स्थिति से प्रसन्न होकर, उस दुकान की सारी घड़ियाँ आधा घंटा बताने के लिए एक साथ बज उठीं। वहाँ पर उपस्थित तीनों व्यक्तियों ने उस संदेश को समझा। संदेश था, “धरती पर शांति, सब के लिए सद्भावना।”

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