This is Jody’s Fawn Summary In English
I
Introduction
Jody’s father Penny was bitten by a rattle-snake. He quickly killed a doe. Then he used the doe’s heart and liver to draw out the poison. Jody saw that the doe’s baby, a little fawn, was left alone.
Jody Talks to Penny
The thought of fawn kept on haunting Jody’s mind. He quietly went to his father’s bed-side. He asked him how he was feeling. Then he asked him to think about the fawn. He asked him to permit him to bring the fawn home. Jody wanted to raise him.
Penny Gives His Permission
At first Penny was in a dilemma. Jody argued that raising the fawn would not be a burden. Fawn could drink Jody’s milk until he started eating leaves and acorns. Jody also said that his family was responsible for the fawn’s plight. Penny agreed that it would be ungrateful to leave the fawn to starve. So he gave Jody his permission. He asked him to tell his mother about it before going to bring the fawn in.
Jody Talks to His Mother
Jody came to the table and sat down very quietly. The mother was pouring coffee in the cups. She was taken aback when Jody talked of bringing the fawn home. Seeing the mother reluctant, Jody told what his father had said. He said that Penny had said it would be ungrateful to leave the fawn to starve.
Dr. Wilson and Mill-wheel Help Jody
Before the mother could say anything, Dr. Wilson spoke. He told Jody’s mother that nothing in the world comes quite free. He meant that they must pay some price for having taken the life of doe. Here the price was to raise the fawn. Mill-wheel chipped in. He offered to take Jody on his horse to the forest. The mother felt helpless. She only told Jody that he could give the fawn his milk. She would not give him anything else to feed the fawn.
Jody Goes with Mill-wheel
Mill-wheel mounted his horse. He sat Jody behind him on the horse. Jody assured his mother Ma Baxter that he would be back before dinner. Now Mill-wheel asked Jody how he knew that the fawn was male. Jody said that the spots on the fawn were all in a line. This indicated that the fawn was male.
II
Jody Wants to be Alone
Once in the forest, Jody wanted Mill-wheel to go back. He wanted to be alone with the fawn. There were two reasons. First, it was possible that Jody might not get the fawn. For the fawn might have died or be not found. In that case, he would not like Mill-wheel to see his disappointment. Secondly, if he met the fawn, the meeting would be very lovely and secret. He would not like to share it with any one else.
Mill-wheel is Sent Back
So Jody asked Mill-wheel to go. He said that the scrub was too thick for the horse to get through. Mill-wheel was however afraid to leave Jody alone. He said that Jody could be lost in the forest or bitten by the snake. Jody however said Mill-wheel didn’t have to worry. He would be careful. So Mill-wheel went back.
III
Jody Finds the Fawn
After a while Jody came to the carcass of the doe. The fawn was not found nearby. He tried to look for the small hoof prints, but in vain. Then there was some movement directly in front of him. Jody was overjoyed to see his fawn. It was shaky but it didn’t try to rise or run.
Jody Picks the Fawn
Jody laid his hand on the fawn’s soft neck. He was very happy to feel it. Jody lifted the swan from the grass very softly. He feared that the sight of its mother’s carcass might agitate the swan. So he avoided the clearing and went through the bushes. It was a difficult walk. He was carrying the fawn in his arms.
Jody Brings the Fawn Home
It was a long walk. He reached the trail. Then he came to the road that could take him home. Now he stopped to rest. He put the fawn down. It bleated and looked at Jody. Jody was charmed. “I’ll carry you after I get my breath”, he said. His father had told him that a fawn would follow if it had first been carried. So he started slowly. The fawn didn’t move. So he came back to pick him. He went ahead carrying the fawn in his arms. He could not go very far. He was too tired. This time, however, the fawn followed him as he walked on. He allowed it to walk a little. Then he picked it up again. He reached at the gate of his home carrying the fawn.
Jody Carries Fawn to His Father
At the gate Jody had an idea. He would walk into his father’s room with the fawn after him. But at the steps, the fawn would not come up. So Jody reached his father’s bed with the fawn on him. Jody showed his father the fawn. The father was glad that Jody had found what he wanted.
Jody Feeds the Fawn
Jody offered the milk to the fawn. The milk was in the gourd. The fawn could not drink it. Then Jody dipped his fingers in the milk and thrust them into the fawn’s soft mouth. The fawn drank the milk greedily. Then he lowered his fingers into the gourd. The fawn drank from the gourd now
This is Jody’s Fawn Summary In Hindi
I
भूमिका
जूडी के पिता पेनी को एक रैटल-स्नेक (एक जहरीला सांप) ने काट लिया था। उसने जल्दी से एक मृगी को मार दिया। फिर उसने मृगी के दिल और जिगर का उपयोग जहर बाहर निकालने के लिए किया। जूडी ने देखा कि मृगी का छोटा-सा बच्चा अकेला रह गया था।
जूडी पेनी से बात करता है।
मृगी के शिशु का विचार जूडी के मन पर छाया रहा। वह चुपचाप अपने पिता के बिस्तर के पास आ गया। उसने उससे उसका हाल पूछा। फिर उसने उससे मृग-शिशु के बारे में सोचने को कहा। उसने उससे कहा कि वह उसे मृग-शिशु को घर लाने की अनुमति दे दे। जूडी उसका लालन-पालन करना चाहता था।
पेनी अपनी अनुमति देता है।
प्रारंभ में पेनी द्विविधा में था। जूडी का तर्क था कि मृग-शिशु का पालन बोझ न होगा। जब तक कि मृग-शिशु पत्तियाँ और ऐक्रन खाने लायक न हो जाए वह जूडी का दूध पी सकता था। जूडी ने यह भी कहा कि मृग-शिशु की दुर्दशा का उत्तरदायित्व उसके परिवार का था। पेनी ने माना कि मृग-शिशु को भूख से मरने के लिए छोड़ देना कृतघ्नता होगी। अतः उसने जूडी को अनुमति दे दी। उसने कहा कि मृग-शिशु घर में लाने के लिए जाने से पहले वह अपनी माँ को इस बारे में बता दे।
जूडी अपनी माँ से बात करता है।
जूडी मेज के पास आकर बिल्कुल चुपचाप बैठ गया। माँ प्यालों में कॉफी डाल रही थी। जब जूडी ने मृग-शिशु को घर लाने की बात की तब वह चौंक पड़ी। माँ को अनिच्छुक जानकर जूडी ने बताया कि उसके पिता ने क्या कहा था। उसने कहा कि पेनी ने कहा था कि मृग-शिशु को भूखे मरने के लिए छोड़ देना कृतघ्नता होगी।
डा. विल्सन और मिल-व्हील जूडी की मदद करते हैं।
माँ कुछ कह पाती इससे पहले ही डा. विल्सने बोल उठा। उसने जूडी की माँ से कहा कि संसार में कोई भी चीज पूरी तरह मुफ्त नहीं मिलती है। उसका अभिप्राय था कि मृगी की जान लेने के बदले उन्हें उसकी कुछ कीमत चुकानी ही चाहिए। यहाँ पर कीमत थी-मृग-शिशु का पालन पोषण। मिल-व्हील बोल उठा। उसने जूडी को अपने घोड़े पर बिठा कर जंगल तक ले जाने का प्रस्ताव किया। माँ लाचार हो गयी। उसने जूडी से केवल इतना कहा कि वह मृग-शिशु को अपना दूध दे सकता था। मृग-शिशु को खिलाने के लिए वह उसे और कुछ नहीं देगी।
जूडी मिल-व्हील के साथ जाता है।
मिल-व्हील घोड़े पर चढ़ गया। उसने जूडी को घोड़े पर अपने पीछे बिठा लिया। जूडी ने अपनी माता मा बैक्सटर को आश्वासन दिया कि वह भोजन काल से पहले वापस आ जाएगा। अब मिल व्हील ने जूडी से पूछा कि उसे कैसे पता लगा कि मृग-शिशु नर है। जूडी ने उत्तर दिया कि मृग-शिशु के शरीर पर चित्तियाँ एक लाइन में थीं। यह मृग-शिशु के नर होने का संकेत थी।
II
जूडी अकेला होना चाहता है।
जंगल में पहुँचने के बाद जूडी मिल-व्हील को वापस भेजना चाहता था। वह मृग-शिशु के साथ एकांत चाहता था। दो कारण थे। प्रथम, संभव था कि जूडी को मृग-शिशु न मिले। क्योंकि संभव था कि मृग-शिशु मर चुका हो अथवा वैसे ही न मिल पाए। उस स्थिति में वह नहीं चाहता था कि मिल-व्हील उसकी निराशा को देखे। दूसरे, अगर मृग-शिशु उसे मिला तो यह मिलन बड़ा प्यारा और रहस्यपूर्ण होगा। वह किसी अन्य के साथ इसे बांटना न चाहेगा।
मिल-व्हील वापस भेजा जाता है।
अतः जूडी ने मिल-व्हील से चले जाने को कहा। उसने कहा कि झाड़ियाँ इतनी घनी थीं कि घोड़ा उनमें से होकर नहीं गुजर पायेगा। पर मिल-व्हील जूडी को अकेला छोड़ने से डरता था। उसने कहा कि जूडी जंगल में भटक सकता था, या उसे साँप डस सकता था। पर जूडी ने कहा कि मिल-व्हील को चिंता करने की आवश्यकता न थी। वह सावधान रहेगा। अतः मिल-व्हील वापस चला गया।
III
जूडी को मृग-शिशु मिलता है।
कुछ देर बाद जूडी वहाँ आ गया जहाँ मृगी की लोथ पड़ी थी। आस-पास मृग-शिशु कहीं नहीं था। उसने छोटे-छोटे खुरों के 1 निशान ढूंढने का असफल प्रयत्न किया। तभी ठीक उसके सामने – की ओर कुछ हल-चल हुई। अपने मृग-शिशु को देखकर जूडी खुशी से फूल उठा। वह काँप रहा था पर उसने उठने या भागने का प्रयत्न नहीं किया।
जूडी मृग-शिशु को उठाता है।
मृग-शिशु की कोमल गर्दन पर जूडी ने अपना हाथ रखा। उस अनुभूति से वह प्रसन्न हो उठा। बड़े धीरे से जूडी ने मृग-शिशु को घास से ऊपर उठाया। उसे डर था कि अपनी माँ के कंकाल को देखकर कहीं मृग-शिशु व्याकुल न हो उठे। इसलिए खुले मैदान को छोड़कर वह झाड़ियों से होकर गुजरा। चलना कठिन था। वह मृग-शिशु को अपनी बांहों में उठाये था।
जूडी मृग-शिशु को लेकर घर आता है।
लंबा रास्ता था। वह पगडंडी पर पहुँचा। फिर वह उस सड़क पर पहुँचा जो उसके घर की ओर जाती थी। अब वह आराम के लिए रुका। उसने मृग-शिशु को नीचे उतार दिया। वह मिमियाया और उसने जूडी की ओर देखा। जूडी मोहित हो गया। “साँस ले लें फिर मैं तुम्हें ले चलूंगा”, वह बोला। उसके पिता ने कहा था कि यदि मृग-शिशु को पहले उठाकर चलो तब वह फिर अपने आप पीछे चलने लगेगा। अत: वह धीरे-धीरे चला। मृग-शिशु नहीं हिला। अतः उसे उठाने वह वापस आया। बांहों में मृग-शिशु को उठाये वह आगे चल पड़ा। वह अधिक दूर न चल सका। वह बहुत थका हुआ था। पर इस बार जब वह चला तब मृग-शिशु उसके पीछे-पीछे चलने लगा। कुछ दूर उसने उसे चलने दिया। फिर उसने उसे दोबारा उठा लिया। मृग-शिशु को उठाये वह अपने घर के द्वार पर पहुँच गया।
जूडी मृग-शिशु को पिता के पास लाता है।
द्वार पर जूडी के मन में एक विचार आया। वह अपने पिता के कमरे में मृग-शिशु को अपने पीछे चलाकर ले जाए। पर मृग शिशु सीढ़ियाँ न चढ़ सका। अतः मृग-शिशु को गोदी में उठाए जूडी अपने पिता के बिस्तर के पास पहुँचा। जूडी ने अपने पिता को मृग-शिशु दिखाया। पिता यह देखकर प्रसन्न थे कि जूडी जो चाहता था, वह उसे मिल गया था।
जूडी मृग-शिशु को आहार देता है।
जूडी ने मृग-शिशु को दूध दिया। दूध तूंबे में था। मृग-शिशु इसे नहीं पी सका। तब जूडी ने अपनी अंगुलियाँ दूध में डालीं और उन्हें मृग-शिशु के कोमल मुँह में डाला। मृग-शिशु ने आतुरता से दूध पीया। फिर उसने अपनी अंगुलियाँ नीचे कर तूंबे में डालीं। अब मृग-शिशु तुबे से पीने लगा।