The Great Stone Face II Summary In English
Introduction
Ernest still lived in his native valley. He was a simple hearted man. He always worked for the betterment of the world. Though he was considered to be an ordinary man yet he was humble and rich in thoughts.
Fame
With the passage of time, Ernest became old. He had wise thoughts in his mind. He had become famous all over the world. Men came from distant places to see and speak to him. The Poet A new poet had appeared on earth while Ernest had been growing old. The poet was a native of Ernest’s valley but had stayed in distant cities for a long period. Ernest happened to read his songs. He thought the poet must bear likeness with the Great Stone Face. He lifted his eyes to the mountain. The face seemed to smile, but did not answer.
The Famous Poet and Ernest
The poet had heard of Ernest’s character. One day, he came to his door. Ernest was reading a book and glancing lovingly at the mountain from time to time. Ernest gave him shelter for the night. The Great Stone Face looked kindly at the poet. The poet found Ernest, wise, gentle and kind. Ernest was also moved by the poet’s mind. It seemed the Great Stone Face was bending forward to listen to the poet. Ernest examined the poet’s features. He hoped the poet was the person he had been waiting for. The poet declared himself unworthy of the likeness of the Stone Face. His life was different from his poems.
Ernest is Stone Face
Ernest used to speak to his neighbours every evening. The poet also accompanied him. The poet listened to his talk. He felt that Ernest’s life and character were a far nobler kind of poetry than his own poems. Just then, the poet saw the Great Stone Face. He declared Ernest as the likeness of Great Stone Face. Everybody agreed with him.
Ernest’s Hope
Ernest still hoped that someone wiser and better than himself would appear sometime, bearing a likeness to the Great Stone Face.
The Great Stone Face II Summary In Hindi
भूमिका
अर्नेस्ट, तब भी अपनी जन्म घाटी में रहता था। वह सरल हृदय वाला व्यक्ति था। वह सदा संसार की भलाई के लिए काम करता था। हालांकि उसे एक साधारण व्यक्ति माना जाता था, फिर भी वह विनीत तथा परिपक्व विचारों वाला व्यक्ति था।
प्रसिद्धि
समय बीतने के साथ अर्नेस्ट वृद्ध हो गया। उसके मस्तिष्क में विद्वत्तापूर्ण विचार थे। वह विश्व-भर में प्रसिद्ध हो गया था। दूर-दूर से लोग उसके दर्शन करने और उससे बातें करने के लिए आया करते थे।
कवि
जब अर्नेस्ट बूढ़ा होता जा रहा था, उसी समय, एक नया कवि, पृथ्वी पर उभर रहा था। उस कवि ने अर्नेस्ट वाली घाटी में जन्म लिया था परन्तु काफी लम्बे समय तक वह दूर स्थित शहरों में रहा था। अर्नेस्ट को उसके गीत पढ़ने का अवसर मिला। उसने सोचा कि कवि, पत्थर के महान चेहरे के साथ सादृश्य रखता होगा। उसने पर्वत की तरफ अपनी नजर उठाई। चेहरा, मुस्कराता हुआ नजर आया, परन्तु उसने कोई उत्तर नहीं दिया।
प्रसिद्ध कवि और अर्नेस्ट
कवि ने अर्नेस्ट के चरित्र के बारे में सुन रखा था। एक दिन, वह उसके दरवाजे पर आया। अर्नेस्ट, एक पुस्तक पढ़ रहा था और थोड़ी-थोड़ी देर में, पर्वत की तरफ प्यार भरी दृष्टि से देख रहा था। अर्नेस्ट ने रात्रि के लिए उसे शरण दी। पत्थर का महान चेहरा, कवि की तरफ दयालु दृष्टि से देख रहा था। कवि ने अर्नेस्ट को बुद्धिमान, सज्जन तथा दयालु पाया। अर्नेस्ट भी कवि के दिमाग से प्रभावित हो गया। ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो पत्थर का महान चेहरा कवि की बातों को सुनने के लिए आगे की तरफ झुक रहा था। अर्नेस्ट ने कवि की आकृति को गौर से निहारा। उसे आशा थी कि कवि वही व्यक्ति था जिसकी वह प्रतीक्षा कर रहा था। कवि ने घोषणा की कि वह पत्थर के चेहरे के अनुरूप होने के योग्य नहीं था। उसका जीवन, उसकी कविताओं से भिन्न था।
अर्नेस्ट पत्थर का चेहरा है।
अर्नेस्ट प्रतिदिन शाम को अपने पड़ोसियों के सामने भाषण दिया करता था। कवि भी उसके साथ चला गया। कवि ने उसका संभाषण सुना। उसने महसूस किया कि अर्नेस्ट का जीवन तथा चरित्र, उस (कवि) की अपनी कविताओं से कहीं अधिक श्रेष्ठ कविता थी। तुरंत ही, कवि ने पत्थर के महान चेहरे को देखा। उसने घोषणा की कि अर्नेस्ट पत्थर के महान चेहरे से मिलता जुलता है। सभी उससे सहमत हो गए।
अर्नेस्ट की उम्मीद
अर्नेस्ट को फिर भी वही आशा रही कि किसी समय कोई व्यक्ति जो उससे अधिक बुद्धिमान और बेहतर होगा, आएगा जो पत्थर के महान चेहरे के सदृश होगा।